कला, कलाकार, कलाप्रेमी
यह उत्सव राजस्थान की 7 संस्कृतियों के 200 लोक कलाकारों का एक संगम है।
यह अनोखा उत्सव, कला का एक ऐसा खुला मंच है जो विभिन्न विचारों, मान्यताओं और कला प्रेमियों का खुले दिल से स्वागत करता है। आस-पास के गांवों और दूर-दराज़ के शहरों व देशों के करीब 10 हज़ार लोग इस खास आयोजन का हिस्सा बनते हैं। इन दो दिनों में, इन लोगों को इस समृद्ध धरती की अनमोल परम्पराओं को करीब से देखने और समझने का अवसर मिलता है।
उत्सव में लोक गीत कॉन्सर्ट्स और कला प्रदर्शनों का आयोजन सहज जगहों पर किया जाएगा - हवेली, लोक देवता का मंदिर और गांव के जोहड़ के पास खुले मैदान में।
पूरे कस्बे के गली-मोहल्ले-चौराहे दो दिनों तक इस आयोजन से गुलज़ार रहते हैं। यह उत्सव दूर मंच पर बैठे कलाकारों के लिए ताली बजाने तक ही सीमित नहीं है। यह एक ऐसा अनूठा उत्सव है जहां दर्शक कलाकारों और स्थानीय निवासियों के साथ घुलते-मिलते हैं, कला को करीब से देखते, समझते और महसूस करते हैं।
लोक गीत-संगीत और कला
राजस्थान के लोक गीत-संगीत और विभिन्न कलाओं के ये वो गिने-चुने कलाकार हैं, जिन्होंने इन लुप्तप्रायः कलाओं को अब तक जीवित रखा हुआ है। जाजम फाउंडेशन विशेष लोक कलाओं की प्रतिभाओं को राज्य के विभिन्न हिस्सों से खोजकर उन्हें उत्सव में आमंत्रित करता है।
इस उत्सव के माध्यम से, फाउंडेशन का उद्देश्य समृद्ध विरासत और परंपराओं का संरक्षण करना और स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार और आय का साधन विकसित करना है। यह विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक सँजोये रखने और हमारी जड़ों से जुड़ने व जोड़ने की एक कोशिश है।
शराब व अन्य मादक पदार्थों को इस आयोजन से पूरी तरह दूर रखा जाता है। आपका सहयोग प्रार्थनीय है।
विशेष आग्रह - मोमासर के निवासी आपके स्वागत के लिए तैयार हैं। उत्सव के आयोजन के दौरान कृपया अपने पहनावे और आचरण से गांव के स्थानीय निवासियों की भावनाओं, विचारों और परम्पराओं का सम्मान करें।